देवउठनी एकादशी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की तिथि को मनायी जाती है, यह एकादशी दिवाली के कुछ दिन बाद आती है। साल 2021 में यह एकादशी 15 नवंबर की है। इस दिन के लिए ऐसा कहा जाता है की इस दिन भगवन विष्णु 4 माह की योग निंद्रा से जागते है, जिस कारण से सभी शुभ कार्य चालू हो जाते है।
इस एकादशी को हम प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi), देव प्रबोधिनी एकादशी इत्यादि भी कहते है। इस एकादशी की व्रत कथा (Ekadashi Vrat Katha) के बारे में कहा जाता है की इस कथा को सुनने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है तो चलिए इस पोस्ट में देव उठानी एकादशी की व्रत कथा (Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha in Hindi) के बारे में जानते है।
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Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha in Hindi |
देव उठानी एकादशी व्रत कथा हिंदी में- Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha in Hindi
Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha- एक राजा के राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे। प्रजा तथा नौकर-चाकरों से लेकर पशुओं तक को एकादशी के दिन अन्न नहीं दिया जाता था। एक दिन किसी दूसरे राज्य का एक व्यक्ति राजा के पास आकर बोला- महाराज! कृपा करके मुझे नौकरी पर रख लें। तब राजा ने उसके सामने एक शर्त रखी कि ठीक है, रख लेते हैं। किन्तु रोज तो तुम्हें खाने को सब कुछ मिलेगा, पर एकादशी को अन्न नहीं मिलेगा।
राजा ने उसे शर्त की बात याद दिलाई, पर वह अन्न छोड़ने को राजी नहीं हुआ, तब राजा ने उसे आटा-दाल-चावल आदि दिए। वह नित्य की तरह नदी पर पहुंचा और स्नान कर भोजन पकाने लगा। जब भोजन बन गया तो वह भगवान को बुलाने लगा- आओ भगवान! भोजन तैयार है।
पंद्रह दिन बाद अगली एकादशी को वह राजा से कहने लगा कि महाराज, मुझे दुगुना सामान दीजिए। उस दिन तो मैं भूखा ही रह गया। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि हमारे साथ भगवान भी खाते हैं। इसीलिए हम दोनों के लिए ये सामान पूरा नहीं होता।
राजा की बात सुनकर वह बोला- महाराज! यदि विश्वास न हो तो साथ चलकर देख लें। राजा एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया। उस व्यक्ति ने भोजन बनाया तथा भगवान को शाम तक पुकारता रहा, परंतु भगवान न आए। अंत में उसने कहा- हे भगवान! यदि आप नहीं आए तो मैं नदी में कूदकर प्राण त्याग दूंगा।
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